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Hathras incident: भोले बाबा कि असली कहानी जानिए सब कुछ।

 Hathras incident: भोले बाबा कि असली कहानी जानिए सब कुछ। 



नमस्कार दोस्तों भोले बाबा का असली नाम सूरज पाल है। वह एटा जिले के बहादुर नगरी गांव का रहने वाला है। शुरुआती पढ़ाई एटा जिले में हुई। बचपन में पिता के साथ खेती बड़ी में हाथ बंटाता था। पढ़ाई के बाद UP पुलिस में नौकरी लग गई। UP के 12 थानों के अलावा इंटेलिजेंस यूनिट में सूरज पाल की ड्यूटी रही।

UP पुलिस में हेड कांस्टेबल की नौकरी के दौरान 28 साल पहले सूरज पाल इटावा में भी पोस्टेड रहा। नौकरी के समय उसके खिलाफ यौन शोषण का मुकदमा दर्ज होने के बाद उसे पुलिस विभाग से निकाल किया गया। जेल से छूटने के बाद उसने अपना नाम नारायण हरि उर्फ साकार विश्वहरि रख लिया और प्रवचन देने लगा लोग उसे भोले बाबा कहने लगे। उसकी पत्नी भी समागम में साथ रहती है।

30 एकड़ में आश्रम, 10 साल पहले मैनपुरी पहुंचा
बाबा का गांव में आश्रम 30 एकड़ में फैला हुआ है। जहां किसी देवता की मूर्ति नहीं है। 2014 में उसने बहादुर नगर से मैनपुरी के बिछवा में अपना ठिकाना बदल लिया और आश्रम का प्रबंधन स्थानीय प्रशासक के हाथों में छोड़ दिया। मीडिया ने बताया कि उसके ठिकाना बदलने के बावजूद आश्रम में हर दिन 12,000 तक लोग आते थे।

वह कारों के काफिले के साथ चलता है। मीडिया से दूरी बनाए रखने वाले बाबा की गांव-गांव गहरी पैठ है। भगत उसे भगवान शिव की तरह पूजते हैं। इसलिए उसका नाम भोले बाबा पड़ गया।

भोले बाबा किसी अन्य बाबा की तरह भगवा कपड़े नहीं पहनता। वह अपने सत्संग में थ्री पीस सूट और रंगीन चश्मे में नजर आता है। सूट और बूट का रंग हमेशा व्हाइट होता है। कई बार कुर्ता-पैजामा और सिर पर सफेद टोपी भी लगाकर सत्संग करने आ जाता है।

इस बाबा का दावा- नौकरी छोड़ने के बाद भगवान से साक्षात्कार हुआ।  

भोले बाबा दावा करता है कि 18 साल की नौकरी के बाद 90 के दशक में उसने VRS ले लिया। उसे नहीं मालूम कि सरकारी नौकरी से अध्यात्म की ओर खींचकर कौन लाया?

 VRS लेने के बाद भगवान से साक्षात्कार हुआ। भगवान की प्रेरणा से पता चला, यह शरीर उसी परमात्मा का अंश है। इसके बाद उन्होंने अपना जीवन मानव कल्याण में लगाने का फैसला कर लिया।

वह कहता है- मैं खुद कहीं नहीं जाता, बल्कि भक्त मुझे बुलाते हैं। भक्तों की फरियाद पर अलग-अलग स्थानों पर घूमकर कल्याण करते रहते हैं। इस समय कई IAS-IPS अफसर उसके चेले हैं। अक्सर उनके दरबार में राजनेता और अफसर पहुंचते हैं। शादियां भी होती है 

बिना प्रसाद और चढ़ावे के आते हैं भक्त

साकार विश्व हरि उर्फ भोले बाबा के आयोजन में कोई प्रसाद नहीं चढ़ता। अनुयायी भी कोई चढ़ावा नहीं चढ़ाते हैं। बाबा कोई साहित्य या सामग्री नहीं बेचते। समागम कार्यक्रमों के लिए श्रद्धालुओं से चंदा नहीं लिया जाता। अनुयायी मंच के नीचे से बाबा को प्रणाम करते हैं। चढ़ावा नहीं लेने की वजह से बाबा के भगत बढ़ते गए।

बाबा का कनेक्शन राजनीतिक से भी है। कुछ मौकों पर UP के कई बड़े राज नेताओं को उनके मंच पर देखा गया। 

भोले बाबा के सत्संग में जो भी भक्त जाता है, उसे वहां पानी बांटा जाता है। बाबा के अनुयायी ऐसा मानते हैं कि इस पानी को पीने से उनकी समस्याएं जड़ से खत्म हो जाती हैं। एटा में बहादुर नगर गांव स्थित बाबा के आश्रम में दरबार लगता है। यहां आश्रम के बाहर एक हैंडपंप भी है। दरबार के दौरान इस हैंडपंप का पानी पीने के लिए भी लंबी लाइन लगती है।

गरीब और बछड़े वर्ग के लोगों मैं अच्छी पहचान। 

भोले बाबा के अनुयायी UP, राजस्थान और मध्य प्रदेश में हैं। SC/ST और OBC वर्ग में उसकी गहरी पहचान है। मुस्लिम लोग भी अनुयायी हैं। बाबा का यूट्यूब चैनल और फेसबुक पर पेज भी है। यूट्यूब में 31 हजार सब्सक्राइबर हैं। फेसबुक पेज पर भी ज्यादा लाइक्स नहीं हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर उनके लाखों चाहने वाले भक्त हैं। उनके हर सत्संग प्रोग्राम में लाखों लोगों की भीड़ उमड़ती है।

ब्लैक ड्रेस आर्मी

भोले बाबा की खुद की आर्मी है, जिन्हें सेवादार कहा जाता है। हर मंगलवार को होने वाले प्रोग्राम का कंट्रोल यही सेवादार संभालते हैं। सेवादार देश से आने वाले श्रद्धालुओं के पानी, भोजन से लेकर ट्रैफिक कंट्रोल की व्यवस्था करते हैं।

सोशल मीडिया के हिसाब से भोले बाबा पर जमीन कब्जाने के भी कई आरोप हैं। कानपुर के बिधनू थाना क्षेत्र के करसुई गांव में साकार विश्वहरि ग्रुप पर 5 से 7 बीघा जमीन पर अवैध कब्जा करने का आरोप लगा था।


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